चौथा आयाम के पहले अंक में हम वरिष्ठ चिञकार एवं साहित्यकार हरिपाल त्यागी की तीन लघुकथाएं यहां प्रकाशित कर रहे हैं। ये लघुकथाएं विमल कुमार की पुस्तक चोर पुराण से प्रेरित हैं और विमल कुमार को समर्पित हैं।
जटिल कवि
चोर विद्वानों से घिरा था। उसे शक था कि उन्हें उसके पिछले कारनामों का पता लग गया है। डर से उसकी ज़बान लड़खड़ाने लगी- बोलते वक्त वाक्य जगह-बेजगह टूट बिखर जाते और आधे-अधूरे छूट भी जाते। उनका कोई भी अर्थ पकड़ में नहीं आ रहा था। विद्वानों ने अपनी समझ को सीमित मानकर चोर को एक जटिल कवि के रूप में पहचाना। तभी से वे चोर के शब्दों पर सिर खपाई करते आ रहे हैं !
मंदिर में
सही मौका देखकर चोर मंदिर में जा घुसा। वह भगवान की चांदी के फ्रेम जड़ी तस्वीर के सामने जा खड़ा हुआ। फ्रेम में चांदी की माञा ढाई किलो से कम तो नहीं होगी- उसने सोचा।
चोर ने मन ही मन भगवान से प्रार्थना की, ''प्रभु, पेशे की मजबूरी के कारण अभी मैं आपकी खास इज्जत नहीं कर पा रहा हूं। आशा है, इसके लिए आप मुझे क्षमा कर देंगे और मेरी मजबूरी पर गौर करते हुए मदद भी करेंगे।''
चोर ने भगवान की तस्वीर निकालकर अलग फेंक दी और फ्रेम को ही अपने काम की चीज समझा। जब वह चलने को हुआ तभी शंख-घंटे-घड़ियाल बजाता भक्तों का दल मंदिर की तरफ बढ़ आया।
चोर ने तुरंत फ्रेम में गर्दन डाल दी। पद्मासन लगाकर वह वहीं बैठ गया। भक्तों ने उसकी पूजा-अर्चना की। चढ़ावा चढ़ाया। तब से आज तक वह मंदिर में ही दर्शन देता आ रहा है।
दामाद
चोर बहुत शातिर निकला। वह कई दिनों से घर के आसपास मंडरा रहा था। आखिर वह उस लड़की को फुसलाकर भगा ले जाने में कामयाब हो गया, जो पढ़ाई के बहाने खिड़की पर बैठी मुस्कराती रहती थी।
थोड़े दिन बाद ही चोर ने लड़की के पिता के सामने अपनी कुछ मांग रख दी। लड़की की सुरक्षा और सुख- सुविधा के लिए पिता को चोर की बात माननी पड़ी। अब चोर खुलेआम खुद को उस घर का दामाद बताता घूम रहा है।
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उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के महुवा गांव मे 20 अप्रैल, 1934 को जन्मे हरिपाल त्यागी शिक्षा प्राप्त करने के बाद विवाहोपरान्त 1955 में आजीविका की तलाश में पिता के साथ दिल्ली आ गये. चित्रकला, काष्ठ शिल्प कार्य और लेखन को अभिव्यक्ति का माध्यम चुना. अनेक प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं एवं उल्लेखनीय पुस्तकों में पेण्टिंग्स तथा साहित्यिक रचनाएं प्रकाशित एवं संगृहीत. अनेक नगरों-महानगरों में एकल चित्रकला प्रदर्शनियां आयोजित एवं सामूहिक कला-प्रदर्शनियों में भागीदारी.'आदमी से आदमी तक'(शब्दचित्र एवं रेखाचित्र) भीमसेन त्यागी के साथ सहयोगी पुस्तक. 'महापुरुष' (साहित्य के महापुरुषों पर केन्द्रित व्यंग्यात्मक निबन्ध) एवं रेखाचित्र प्रकाशित.दो उपन्यास, एक कहानी संग्रह तथा संस्मरणॊं की एक पुस्तक शीघ्र प्रकाश्य. 'भारतीय लेखक' (ञैमासिक पत्रिका) का सम्पादन. साहित्य एवं कला के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए अनेक बार पुरस्कृत-सम्मानित. देश-विदेश में पेण्टिंग्स संग्रहित.
संपर्क- एफ़- 29, सादतपुर विस्तार, दिल्ली-110094 फोन : 011-22961856
E-mail : haripaltyagi@yahoo.com
Saturday, July 18, 2009
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